एकाधिकृत प्रतियोगिता और अल्पाधिकार प्रतियोगिता में अंतर| deference between Monopolistic competition and Oligopoly in hindi

यदि क्रेता एवं विक्रेताओं की संख्या तथा उत्पादित वस्तुओं व सेवाओं की गुणवत्ता के आधार पर देखा जाए तो बाज़ार में भिन्न भिन्न प्रकार की परिस्थितियां उत्पन्न होती है। जाए कि पूर्ण प्रतियोगिता, अपूर्ण प्रतियोगिता, एकाधिकार, अल्पाधिकार, एकाधिकृत प्रतियोगिता आदि। बाज़ार की इन सभी स्थितियों में कुछ मूलभूत अंतर पाए जाते हैं।


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इस अंक में हम एकाधिकृत प्रतियोगिता और अल्पाधिकार में अंतर क्या है? (ekadhikrat pratiyogita aur alpadhikar mein antar kya hai?) जानेंगे। आइए पहले हम इन दोनों ही स्थितियों को सामान्य रूप से जान लेते हैं।

एकाधिकृत प्रतियोगिता (Monopolistic competition) - 

एकाधिकृत प्रतियोगिता, बाज़ार की उस अवस्था को कहा जाता है जिसमें विक्रेता अधिक तो होते हैं किन्तु पूर्ण प्रतियोगिता की तुलना में कुछ कम होते हैं। जो कि निकट स्थानापन्न वस्तुओं का विक्रय करते हैं। एकाधिकृत प्रतियोगिता में भी वस्तु विभेद पाया जाता है।

अल्पाधिकार प्रतियोगिता (Oligopoly) - 

बाज़ार की एक ऐसी अवस्था जिसमें विक्रेताओं की संख्या इतनी कम होती है कि इसमें प्रत्येक विक्रेता पूर्ति एवं मूल्य पर समुचित प्रभाव डालने में सक्षम होते हैं। इस तरह विक्रेताओं की क्रियाएं परस्पर एक दूसरे को प्रभावित करती हैं। यह कहा जा सकता है की अल्पाधिकार प्रतियोगिता के अन्तर्गत विक्रेता एक दूसरे पर निर्भर होते हैं।


एकाधिकृत प्रतियोगिता एवं अल्पाधिकार में अंतर (deference between Oligopoly and Monopolistic competition in hindi)


एकाधिकृत प्रतियोगिता अल्पाधिकार प्रतियोगिता
1. इस प्रतियोगिता में फर्मों की संख्या अर्थात विक्रेताओं की संख्या अधिक होती है।                                                      1. इस तरह के बाज़ार में फर्मों की संख्या अर्थात विक्रेताओं की संख्या दो। अधिक किन्तु सीमित मात्रा में होती है।
2. इस तरह के बाज़ार में वस्तु विभेद का गुण विशेष तौर पर पाया जाता है। 2. ऐसे बाज़ार में वस्तुओं में विभेद और समानताएं दोनों पायी जाती हैं।
3. एकाधिकृत प्रतियोगिता में मांग वक्र निश्चित होता है। 3. अल्पाधिकार में मांग वक्र अनिश्चित होता है।
4. प्रत्येक फर्म क़ीमत तथा उत्पादन के क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकती है। 4. बाज़ार के इस प्रकार में कोई भी फर्म, क़ीमत तथा उत्पादन में स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।
5. इस तरह के बाज़ार में परस्पर सहयोग व समझौते का अभाव देखा जाता है। 5. इस तरह के बाज़ार में चूंकि एक दूसरे पर निर्भर होते हैं इसलिए यदि फर्में चाहें तो एक दूसरे का सहयोग या समझौते का सहारा ले सकती है ।
 

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