रिज़र्व बैंक की सफलताएं | रिज़र्व बैंक की असफलताएं | रिज़र्व बैंक की सफलताएं और असफलताएं क्या हैं ? विवेचना कीजिये।

भारतीय रिज़र्व बैंक की उपलब्धियां और विफलताएं ( Bhartiya reserve bank ki uplabdhiyan aur vifaltayen, reserve bank ki safalta, asafalta)


भारतीय रिज़र्व बैंक की सफलताएं, भारतीय रिज़र्व बैंक की असफलताएं


भारतीय रिज़र्व बैंक देश का केंद्रीय बैंक है। रिज़र्व बैंक ने 1 अप्रैल, 1935 में स्थापित होकर कार्य करना शुरू किया। 1 जनवरी, 1949 को इसका राष्ट्रीयकरण किया गया। रिज़र्व बैंक के प्रमुख कार्य एवं उद्देश्य, स्पष्ट तौर पर देश के राष्ट्रीयकृत बैंकों के उत्थान एवं अर्थव्यवस्था के विकास हेतु अमल में लाए गए। लेकिन रिज़र्व बैंक को जहां अनेक सफलताएं मिलीं, वहीं अनेक असफलताएं भी हाथ लगीं। इस अंक में रिज़र्व बैंक की सफलताएं एवं असफलताएं क्या है? इस बारे में जानेंगे। 


रिज़र्व बैंक की सफलताएं (Achievements of the Reserve Bank in hindi)

रिज़र्व बैंक की प्रमुख सफलताएं (reserve bank ki pramukh asafaltayen) निम्नलिखित हैं -

1. नोट निर्गमन नीति - रिज़र्व बैंक (केंद्रीय बैंक) ने सन् 1956 के पश्चात जब से आनुपातिक नोट निर्गमन प्रणाली के स्थान पर न्यूनतम कोष निधि प्रणाली को अपनाया है। तब से देश की काग़ज़ी मुद्रा में पर्याप्त लोच देखी जा रही है। देश की आर्थिक स्थिति के अनुसार अब मुद्रा की आपूर्ति का नियमन संभव हो सका है। 

2. सुलभ मुद्रा नीति - रिज़र्व बैंक की स्थापना 1 अप्रैल 1935 में की गई थी। तब बैंक दर 3.5 प्रतिशत थी। जिसे नवंबर 1935 में घटकर 3% कर दिया गया था। हालांकि सन् 1951 तक बैंक दर धीरे धीरे बढ़ती रही और 10% तक पहुंच गयी। वर्तमान में यह 6% है। इससे यह स्पष्ट होता है कि रिज़र्व बैंक ने अपने जीवनकाल में सुलभ मुद्रा नीति का अनुसरण किया है।

3. स्फीति नियंत्रण - देश में मुद्रा स्फीति की समस्या को नियंत्रित करने के लिए रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। केंद्रीय बैंक (रिज़र्व बैंक) द्वारा अपनाई गई नीति में चयनात्मक साख नीति विशेष रूप से प्रभावशील रही है।

4. ब्याज़ की दरों में स्थिरता - रिज़र्व बैंक की स्थापना से पूर्व देश में ब्याज़ की दरों में बहुत ज़्यादा उतार चढ़ाव होते रहते थे। रिज़र्व बैंक के अस्तित्व में जाने से इन ब्याज़ दरों में होने वाले उतार चढ़ावों पर नियंत्रण किया जा सका है। दरअसल भारतीय रिज़र्व बैंक (केंद्रीय बैंक) ने व्यापारिक आवश्यकताओं के अनुसार साख का नियमन करके इन परिवर्तनों में स्थिरता प्राप्त कर ली है।

5. सार्वजनिक ऋण व्यवस्था - चूंकि रिज़र्व बैंक, सरकार का बैंकर होता है इस नाते रिज़र्व बैंक ने इस कर्तव्य को निभाते हुए सार्वजनिक ऋण का प्रबंध बड़ी ही कुशलता से किया है। रिज़र्व बैंक ने सरकार को समय-समय पर ऋण प्रदान करके अनेक वित्तीय समस्याओं से बचाया है।

6. औद्योगिक वित्त व्यवस्था - भारतीय रिज़र्व बैंक ने देश में औद्योगिक विकास को नियमित एवं संतुलित रखने के लिए उद्योगों को अल्पकालीन व दीर्घकालीन ऋण उपलब्ध कराया है। इसके लिए रिज़र्व बैंक ने विभिन्न वित्त निगमों को सहायता प्रदान की है।

7. कृषि वित्त की व्यवस्था - रिज़र्व बैंक ने सहकारिता आंदोलन को पुनः गठित एवं सुदृढ करके जहां कृषि को लाभ पहुंचाया है। तो वहीं कृषि एवं ग्रामीण राष्ट्रीय बैंक (नाबार्ड) NABARD की स्थापना करके कृषि वित्त संबंधी समस्याओं को सुलझाया है।

8. बैंकिंग का विकास - रिज़र्व बैंक ने अधिनियम के अन्तर्गत प्राप्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए एक व्यवस्थित एवं सुदृढ बैंकिंग व्यवस्था विकास किया है।



रिज़र्व बैंक की असफलताएं (Failures of the Reserve Bank in hindi)

रिज़र्व बैंक की प्रमुख असफलताएं (reserve bank ki pramukh asafaltayen) निम्नलिखित हैं -

1. मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने में असफल -
रिज़र्व बैंक ने अपनी नीतियों के माध्यम से अनेक समस्याओं का समाधान तो निकाला है किन्तु देश में मुद्रा स्फीति जैसी समस्या पर नियंत्रण पाने में असफल रहा। उम्मीद है रिज़र्व बैंक अपनी साख एवं मुद्रा की पूर्ति की नीतियों के द्वारा इस घातक समस्या पर काबू पाने में सफल रहेगा। 

2. मुद्रा बाज़ार में समन्वय का अभाव - 
मुद्रा बाज़ार के विभिन्न अंगों के मध्य रिज़र्व बैंक को आज तक समन्वय स्थापित करने में पूर्ण रूप से सफलता प्राप्त नहीं हो सकी है। स्वदेशी बैंकर आज तक रिज़र्व बैंक के नियंत्रण से बाहर दिखाई देते हैं। 

3. ब्याज़ की दरों में भिन्नता - 
रिज़र्व बैंक ने अपनी ओर से अनेक प्रयास किए हैं ताकि मुद्रा बाज़ार में ब्याज़ की दरों में एकरूपता स्थापित हो सके। लेकिन केंद्रीय बैंक (RBI) द्वारा किए गए ऐसे अनेक प्रयासों के बावजुद ब्याज़ की दरों में भारी असमानताएं दिखाई देती हैं।

4. बैंकिंग सुविधाएं पर्याप्त नहीं -
देश में निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए विचार किया जाए। तो रिज़र्व बैंक, देश में बैंकिंग का पर्याप्त विकास करने में असफल रही है। बैंक सुविधाओं को देखा जाए तो आज भी देश में अनेक ऐसे स्थान हैं जहां बैंक सुविधाएं नहीं है।

5. रुपए के बाह्य व आंतरिक मूल्य में अस्थिरता - 
रुपए के आंतरिक मूल्य की बात की जाए तो रिज़र्व बैंक द्वारा अपनाई गई साख नीति भी क़ीमतों को स्थिर रखने में असफल रही है। देश में लगातार बढ़ती मुद्रा स्फीति के कारण रुपए के मूल्य में तेज़ी से ह्रास हो रहा है। इसके अतिरिक्त यदि रुपए के बाह्य मूल्य की बात की जाए तो रिज़र्व बैंक, रुपए के विदेशी मूल्यों को स्थिर रखने में भी असफल रहा है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि भारत के स्वतंत्र होने के बाद भारतीय रुपए का कई बार अवमूल्यन किया जा चुका है।

6. कृषि साख व्यवस्था में कमी - 
रिज़र्व बैंक द्वारा कृषि क्षेत्र में विकास हेतु, कृषि कार्यों में सहायता करने के लिए कृषि साख उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है। लेकिन इस क्षेत्र में पर्याप्त साख की उपलब्धता नहीं हो पायी है। दरअसल आज भी देश म के किसान, महाजन व साहूकारों से ऋण लेने के लिए मजबूर होते हैं।


7. बैंकों को संकट से बचने में असफल -
रिज़र्व बैंक अपने बैंकों के कार्यों में आने वाली समस्याओं का समाधान निकालने में असमर्थ रहा है। ऐसे अनेक छोटे मोटे बैंक रुग्ण अवस्था में फेल हो गए। जिन्हें अंत में अन्य बड़े व सफल बैंकों में विलय (merge) करना पड़ा।

8. रिज़र्व बैंक की अप्रभावशीलता -
देश के बैंकों की विभिन्न बैंकिंग प्रणालियों को नियंत्रित व समन्वित करने में रिज़र्व बैंक असफल रहा है। बैंकों को होने वाली लगातार हानि, बैंकों में होने वाली धोखाधड़ी, हाल के ही दिनों में किया गया प्रतिभूति घोटाला आदि इसके उदाहरण हैं।

उम्मीद है इस अंक के माध्यम से आपने रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की सफलताएं और असफलताएं क्या हैं? (bhartiya reserve bank ki safaltayen evam asafaltayen kya hain?) विस्तार से समझा होगा। वास्तव में रिज़र्व बैंक को अपने अधिकारों का कड़ाई से पालन करना होगा तभी इसे अपने बैंकों की बैंकिंग प्रणाली में सुधार लाने में आशानुरूप सफलता प्राप्त होगी।


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