स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत भारतीय कृषि में सुधार हेतु उठाए गए कदम | Steps taken to improve Indian agriculture in hindi

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कृषि विकास के लिए क्या उपाय किए गए | आज़ादी के बाद कृषि समस्याओं को सुधारने के लिए कौन कौन से सुधार किए गए?

आप सभी जानते हैं कि कृषि हमारी अर्थव्यवस्था की आधारशिला रही है। हमारी जनसंख्या का लगभग 70% भाग कृषि एवं उससे संबंधित क्रियाओं से जुड़ा है। भारतीय कृषि लाखों लोगों के लिए भोजन पदार्थ उपलब्ध कराने के साथ साथ बड़े उद्योगों को कच्चे माल की पूर्ति करती रही है। साथ ही भारी संख्या में लोगों को रोज़गार दिलाती रही है। 


british shasan ke baad bhumi sudhar ke liye kiye gaye upay



किन्तु ब्रिटिश शासन के बाद भारतीय कृषि की स्थिती अच्छी नहीं रह गई थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारतीय कृषि (svatantrata prapti ke baad bhartiya krishi) का हाल संतोषप्रद नहीं रह गया था। इसलिए उसी समय से सरकार ने उत्पादन में वृद्धि के लिए गंभीर प्रयास किए। भारतीय कृषि में सुधार (bhartiya krishi me sudhar) के लिए केंद्रीय सरकार एवं राज्य सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। जिनका अध्ययन हम इस अंक में करेंगे।



भारतीय कृषि में सुधार के लिए उठाए गए क़दम (Bhartiya krishi me sudhar ke liye uthaye gaye kadam)

स्वतंत्रता के बाद भारतीय कृषि में सुधार (svatantrata ke baad bhartiya krishi me sudhar) निम्नलिखित हैं -
 
1. जमींदार प्रथा की समाप्ति -
पूर्व में ज़मीदार प्रथा एक अभिशाप की तरह थी। अब तो अधिकांश राज्य सरकारों ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया है। किरायेदार को संपत्ति का अधिकार तथा कृषकों को अपनी ज़मीन का स्वामित्व प्राप्त हो गया। भूमि के समान वितरण के लिए, भूमि के एक भाग की अधिकतम सीमा तय कर दी गई। जिस पर एक किसान का अधिकार हो। 

2. भूमि की चकबंदी - 
पुराने समय में, एक किसान के पास भूमि के कई टुकड़े विभिन्न फैले हुए स्थानों पर हुआ करते थे। यह कृषि कार्यों को कठिन एवं बिल्कुल अनार्थिक बनाता था। कृषि के बिखराव को रोकने के लिए सरकार ने इन अनार्थिक भुमि की चकबंदी कर दी। फलस्वरूप सरकार ने इस समस्या से निजात दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

3. जल एवं मिट्टी को सुरक्षित रखने के नए उपाय -
सरकार ने जल एवं मिट्टी को सुरक्षित रखने के लिए नए उपायों को प्रारंभ किया। जैसे - खेती की नई तकनीक सूखी खेती देश के उन बड़े भागों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जहां वर्षा बहुत कम होती है एवं सिंचाई की सुविधा भी नहीं होगी। 

4. सिंचाई के बड़े प्रोजेक्ट का आरंभ -
भारत के अधिकतम क्षेत्रों में सिंचाई के साधनों का प्रयोग पानी के लिए अत्यंत आवश्यक होता है। इसलिए किसानों को पर्याप्त सिंचाई सुविधा प्रदान करने के लिए सरकार ने राज्य स्तर पर बहुत सी बड़ी एवं छोटी सिंचाई योजनाओं को आरंभ किया है।

5. रसायन एवं खाद के उपयोग को प्रोत्साहन -
सरकार किसानों को उनके खेतों में रसायन एवं खाद  उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करती रही है। किसानों की सहायता के लिए नंगल, सिंदरी, निवली आदि में रसायन खाद कारखानों का निर्माण भी किया जाता है।


6. मशीनीकृत खेतों एवं प्रदर्शनीय खेतों की स्थापना -
सरकार ने कई लेबोरेट्रीज़ एवं कुछ मशीनीकृत एवं प्रदर्शनीय खेती की स्थापना नए साधनों, विकसित बीज एवं नई कृषि तकनीकों के उपयोग को उपयुक्त बनाने के लिए की। जिसके फलस्वरूप स्वतंत्रता के पश्चात भारतीय कृषि में सुधार (svatantrata ke pashchat bhartiya krishi me sudhar) करना आसान हो गया।

7. उत्तम पैदावार वाले बीजों के प्रकारों का विकास -
सरकार ने ख़ासतौर पर गेहूं में उत्तम पैदावार वाले बीज के प्रकारों का विकास किया है। इसने पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हरित क्रांति ला दी है। 

8. गहन खेती - 
सरकार ने कुछ चुने हुए क्षेत्रों में गहन खेती की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम के तहत कृषकों को अपने पेड़ पौधों की सुरक्षा के लिए अधिकतम सुविधाएं प्रदान की है। ताकि किसान भाइयों को अपनी खेती के लिए सुरक्षात्मक सुविधाओं से जूझना न पड़े।

9. बैंकिंग एवं विपणन सुविधाएं -
सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी बैंकों एवं बहु उद्देश्य सहकारी समितियों का विकास किया है जिससे कृषकों को अग्रिम कर, कम ब्याज़ दर पर उपलब्ध कराया जा सके। इसके अलावा विपणन सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं। यह कदम कृषकों को देशी बैंकों के शोषण से सुरक्षित रखने में  अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

10. भारतीय भोजन निगम की स्थापना -
सरकार ने भारतीय भोजन निगम की स्थापना की। जिससे यह निगम, कृषकों से प्रत्यक्ष रूप से अनाज प्राप्त कर सके। यह कृषकों को दुष्ट व्यापारियों एवं बिचौलियों की पकड़ से बचाता है।

11. सहकारी कृषि -
कृषि को अधिक वैज्ञानिक स्तर का बनाने के लिए सरकार ने सहकारी कृषि को प्रोत्साहन लगातार प्रोत्साहन दिया है। हालाकि इस क्षेत्र में बहुत कम वृद्धि हुई है।

12. न्यूनतम सहायतार्थ मूल्य की घोषणा -
कृषि के मौसम से पूर्व सरकार बड़े अनाजों के लिए न्यूनतम सहायतार्थ मूल्य की घोषणा करती है। यह कृषकों को बड़े स्तर पर उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहन करती है।


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