अंतिम वस्तु एवं मध्यवर्ती वस्तु में क्या अंतर हैं? | Antim vastu evam Madhyavarti vastu mein antar

जिन वस्तुओं का इस्तेमाल अन्य वस्तुओं के उत्पादन या निर्माण हेतु कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है ऐसी वस्तुएं मध्यवर्ती वस्तुएँ (madhyavarti vastuein) कहलाती हैं। तथा ऐसी वस्तुएं जिन्हें उपभोक्ताओं के द्वारा अंतिम बार उपयोग किया जाता है। इन वस्तुओं का उपयोग कच्चे माल के रूप में नहीं किया जाता है। अन्तिम वस्तुएँ (antim vastuein) कहलाती हैं।




उपभोक्ता कोई भी व्यक्ति हो सकता है अथवा उद्यम, उनके द्वारा क्रय की जाने वाली वस्तु अथवा सेवा अंतिम रूप से अथवा अग्रिम उत्पादन के लिए प्रयोग में लायी जा सकती है। जब इसका प्रयोग अग्रिम उत्पादन के लिए किया जाता है, तब अक़्सर यह वस्तु अपनी विशेषता खो देती है तथा उत्पादन प्रक्रिया के दौरान, किसी दूसरी वस्तु के रूप में रूपांतरित हो जाती है। आइए इसे उदाहरण द्वारा समझते हैं।

कपास का उत्पादन करने वाले किसान, धागा तैयार करने वाली मिल को अपना कपास बेचते हैं। कपास से धागे तैयार करने के बाद, ये मिल, कपड़ा बनाने वाली मिल को अपने बनाए हुए धागे बेच देती है। जहां उत्पादन की एक नई प्रक्रिया के द्वारा इसका रूपांतरण कपड़े के रूप में हो जाता है। जिसे एक अन्य उत्पादन प्रक्रम द्वारा पहनने योग्य कपड़े के रूप में रूपांतरित कर दिया जाता है। 

अतः वस्तु की ऐसी मद या प्रकार जिसका अंतिम उपयोग, उपभोक्ताओं के द्वारा होता है। अर्थात जिसका पुनः कोई परिवर्तन नहीं होता है। उसे अंतिम वस्तु (antim vastu) कहा जाता है। तथा वह वस्तु जिसे पुनः उत्पादन के किसी चरण से गुज़रना पड़ता है यानि कि वह बार बार किसी अन्य वस्तु के रूप में रूपांतरित की जाती है। उस मध्यवर्ती वस्तु (madhyavarti vastu) कहा जाता है।



मध्यवर्ती वस्तु (Intermediate goods)

अंतिम वस्तुओं का अभिप्राय उन वस्तुओं से है जो किसी लेखावर्ष में किसी वस्तु के उत्पादन में कच्चे माल के रूप में प्रयोग किए जाने के लिए या पुनः बिक्री के लिए ख़रीदी जाती हैं। दूसरे शब्दों में, जब कोई वस्तु किसी विशेष वस्तु के निर्माण में प्रयोग होने वाले कच्चे माल के रूप में ख़रीदी जाती है तो वह मध्यवर्ती वस्तु (madhyavarti vastu) कहलाती है।

अंतिम वस्तुएं (Final goods)

अंतिम वस्तुओं का आशय ऐसी वस्तुओं से है जो उपभोक्ता एवं निवेशक द्वारा वस्तु के अंतिम प्रयोग के लिए उपलब्ध होती है। दूसरे शब्दों में, जब कोई वस्तु अंतिम प्रयोगकर्ता के पास पहुँच जाती है उसे अंतिम वस्तु (antim vastu) कहा जाता है।




अंतिम वस्तुओं एवं मध्यवर्ती वस्तुओं में अंतर (Difference between final goods and intermediate goods in hindi)



मध्यवर्ती वस्तु अंतिम वस्तुएं
1. इन वस्तुओं का प्रयोग अन्य वस्तुओं  उत्पादन हेतु कच्छे माल के रूप में किया जाता है।                                                 1. इन वस्तुओं का उपयोग कच्चे माल के रूप में नहीं किया जाता है।                                              
2. इन वस्तुओं की पुनः बिक्री की जा सकती है।                       2. इन वस्तुओं की पुनः बिक्री नहीं की जा सकती है।
3. यह अंतिम प्रयोगकर्ता द्वारा प्रयोग के उद्देश्य से तैयार नहीं की जाती।      3. यह अंतिम प्रायोजक प्रयोगकर्ता द्वारा प्रयोग करने के उद्देश्य से तैयार की जाती है 
4. इन वस्तुओं में मूल्य की वृद्धि हो सकती है।      4. इन वस्तुओं में मूल्य की वृद्धि हो सकती है।
5. इन वस्तुओं को राष्ट्रीय आय की गणना में शामिल नहीं किया जाता है। 5. इन वस्तुओं को राष्ट्रीय आय की गणना में शामिल किया जाता है।



यदि राष्ट्रीय आय की दोहरी गणना की समस्या से बचना हो तो, सिर्फ़ अंतिम वस्तुओं को ही राष्ट्रीय आय के अनुमान में सम्मिलित किया जाता है। क्योंकि हमें समझना चाहिए कि अंतिम वस्तुओं के मूल्य में मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य भी शामिल होता है। मध्यवर्ती वस्तुओं की अलग से गणना करने पर राष्ट्रीय आय में दोहरी गणना की समस्या बन सकती है।

उम्मीद है इस अंक में आपने मध्यवर्ती वस्तु और अंतिम वस्तु में अंतर (madhyavarti vastu aur antim vastu mein antar) स्पष्ट तौर पर जान किया होगा। हम आशा करते हैं यह लेख अवश्य ही आपके अध्ययन में सहायक सिद्ध होगा।

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